
लिंगानुपात का महत्त्व
भारत में लिंगानुपात एक महत्वपूर्ण समाजिक और सांस्कृतिक मुद्दा रहा है। लिंगानुपात का सीधा प्रभाव समाज के विभिन्न क्षेत्रों पर पड़ता है, जैसे सामाजिक संतुलन, रोजगार के अवसर, और परिवारिक संरचनाएं।
2011 में लिंगानुपात की स्थिति
2011 की जनगणना के अनुसार, भारत में प्रति हजार पुरुषों पर 943 महिलाएं थीं। यह आंकड़ा बताता है कि महिला जन्म का अनुपात काफी कम था और समाज में पुरुषों की संख्या महिलाओं की तुलना में अधिक थी। संख्या में यह अंतर कई समाजिक और आर्थिक समस्याओं का कारण बनता है।
2036 का अनुमान: क्या हुआ बदलाव?
2036 में, लिंगानुपात में सुधार की उम्मीद की जा रही है, जिससे प्रति हजार पुरुषों पर 952 महिलाएं होंगी। यह बढ़ोतरी इस बात का संकेत है कि समाज में महिलाओं के प्रति दृष्टिकोण में सुधार आ रहा है और सरकारी व समाजिक संगठनों के प्रयास रंग ला रहे हैं।
भविष्य के लिए रास्ता
लिंगानुपात में सुधार के लक्ष्य को पाने के लिए विभिन्न नीतियाँ और कार्यक्रम लागू करने की आवश्यकता है। शिक्षा, स्वास्थ्य, और महिलाओं के अधिकारों पर अधिक ध्यान देने से, इस अनुपात को और बेहतर किया जा सकता है।